nari
नारी समपूर्ण संसार की शक्ति है
इसके इज्जत में ही सच्ची भक्ति है
यही पत्नी,पुत्री,बहन,और माता है
इसका समस्त मानव जाती से नाता है
नर में कर्तव्य भावना जगती है
लालच-कपट को कोशो दूर भगाती है
इसका पूरा हृदय ममता से भरा है
कोई नही संसार में इससे खरा है
इसके संतोष की नही कोई सीमा
इसके तेज के आगे पड़ता रवि धीमा
वास्तव में "रूमी" नारी सृष्टि का रूप है
यह तो भगवन का ही दूसरा स्वरुप है!
1 comments:
Very Nice dear
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