| at 2:06 AM
मैं हूँ तेरा आशिक, तेरा दीवाना
तू मेरी जान है, तू मेरी महबूबा
तुझपे निशार हो जाये हश्ती-ऐ-रूमी
ओं मेरी शब्ज जिंदगी की मह्पारा !
| at 5:39 AM
जाम-इ-इश्क डूब कर पीने जा रहे हैं हम,
खुद से अपना जिक्र करने जा रहे हैं हम,
भूल कर माजी-इ-हश्ती "रूमी"
इक नयी जिंदगी जीने जा रहे हैं हम!
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