जाम-इ-इश्क डूब कर पीने जा रहे हैं हम,

खुद से अपना जिक्र करने जा रहे हैं हम,

भूल कर माजी-इ-हश्ती "रूमी"

इक नयी जिंदगी जीने जा रहे हैं हम!

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1 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब, लाजबाब !

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