आपके जानिसार हो जायें
आदमी में शुमार हो जाएँ
लोग उठा के लगायें आँखों से
इस कदर खाकसार हो जाएँ
अपना किरदार क्या तमाशा है
अब से सोगवार हो जाएँ
राहेजन हो चले हैं मुखालिश
राह -रवौ होशियार हो जाएँ
इश्क का एक मुकाम ये भी है
हुस्न के राजदान हो जाएँ
कह सके न गर जबान तो
आँखें ही अस्कबार हो जायें
क्या थे, क्या हो गए आप
सोच लें तो शर्मसार हो जायें!
| at 4:36 AM
रफ्ता-रफ्ता तेरी सोहबत में जिन्दगेई हो रही खुश्गवा
तुझे ख़बर नही शायद की तू बन गई है मेरी रहनुमा
अभी तक जीता आया है गफलत की ये बेमुराद जिंदगी "रूमी"
तेरे इश्क का असर है की बदला-बदला सा नज़र आता है हुज़ूर का अंदाजे बयां
| at 4:23 AM
तुम्हे समझने की हम हर घरी कोशिस करते हैं
न जाने क्यों तुमसे अपना हाले दिल कहने से डरते हैं
हर एक पल तेरा रुखसार देखने तो तरसता है "रूमी"
तुझे कितना प्यार करते हैं ये हम नही जानते हैं!
| at 4:16 AM
Subscribe to:
Posts (Atom)