rubai

मेरी  अँधेरी जींदगी की एक तू ही है रोशनी
तेरी याद में नीकल्ते हैं मेरी आँखों से मोती 
परवानो का वजूद ही क्या होता "रूमी" 
गर जो इश्क न होता, शमा न होती!

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