जिंदगी

जिंदगी से अंत में हम उतना ही पाते हैं
जितना उसमे मेहनत की पूँजी लगते हैं!

पूँजी लगना संकट का सामना करना है
उसके हर इक पन्ने को उलट कर पढ़ना है

जिंदगी में गर हम आप ही आप रहे तो क्या रहे
फ़क़त खुशियों के लहरों में बहे तो क्या बहे

जिंदगी में है "रूमी" कभी खुसी तो कभी गम
जीना उसे आया जो किसी खुशी को न समझे कम !

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1 comments:

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’

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