पान (कुण्डलिया)

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पान मान के खाइए, भले चूना-खैर
दिल से दिल मिलाइए, हो किसी से बैरहो किसी से बैर,मिलकर रहें सब एक
सत्य-पथ पर चलकर काम करें कोई नेक
"
रूमी" की है फरियाद, पाना है गर सम्मान
ऐसी वाणी बोलिए की दुश्मन खिलावे पान !

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