जान लेना नही हमने जान देना सीखा है
अब
तक तो सीर्फ दूसरो के लीये जीना सीखा है
मोहब्बत
के दरबार में बैठ कर रूमी ने
फ़क़त
नीमबाज आंखों से पीना सीखा है

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2 comments:

अभिषेक आर्जव said...

काश ऐसा हो पाता.........!

अभिषेक आर्जव said...

कमेन्ट बोर्ड से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दे .........कमेन्ट देने में सुविधा रहेगी !

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