Here the ganges of my thoughts flows continuously.............
| at 6:20 AM
जान लेना नही हमने जान देना सीखा है अब तक तो सीर्फ दूसरो के लीये जीना सीखा है मोहब्बत के दरबार में बैठ कर रूमी ने फ़क़त नीमबाज आंखों से पीना सीखा है
काश ऐसा हो पाता.........!
कमेन्ट बोर्ड से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दे .........कमेन्ट देने में सुविधा रहेगी !
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काश ऐसा हो पाता.........!
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